YOU KNOW VERY WELL WE DONT CHARGE YOU ANYTHING FOR OUR ANY COURSE...
BUT IN CASE YOU WANT US TO IMPROVE OUR INFRASTRUCTURE
YOU CAN DONATE US VIA PHONEPAY/GOOGLEPAY/PAYTM ON`8909039409 SO THAT WE CAN BUY A ADD FREE HOSTING SPACE..
SOON WE WILL LAUNCH A EXAUSHSTIVE COURSE COVERING UPSC CSE EXAM BY EXPERT MENTORS TILL THEN STAY TUNED WITH US FOR SUGGESTIONS WHATSAPP US AT 9999494360
Que. Capital punishment is retributive justice and its effectiveness in curbing crime is contested. In this light, critically examine the need for continuance of capital punishment in India. (250 words) -AMIT SINGH (A MEMBER OF TEAM AAP IAS)
Approach:
Give a short explanation of the term Capital punishment as retributive justice.
Critically examine the Need for continuance of the capital punishment.
Give a way forward.
Introduction:
Capital punishment as theory of retribution justice focuses on the offence committed and just treatment of the individual, rather than prevention of crime. It asserts that blame is made effective through punishing persons who deserve unpleasant consequences on account of some wrongful act that they intentionally and willingly did.
Provision of Capital punishment: Article 21 of the Indian Constitution ensures the Fundamental Right to life and liberty for all persons. It adds no person shall be deprived of his life or personal liberty except according to procedure established by law.
Body Need for capital punishment—
Appropriate Punishment is Imperative for Security in Society.
Deterrent effect of death penalty is one of the basic arguments forwarded by the retentionists.
Public opinion is in favour of the death penalty for certain heinous crimes, such as terrorism, rape, murder etc. The SC has reserved capital punishment for such ‘rarest of rare’ crimes only.
Present day society has not yet matured for this reform (removal of death penalty) and the community has not yet ripened to that stage.
In Dhananjoy Chatterjee v. State of West Bengal, the Supreme Court ruled that “imposition of appropriate punishment is the manner in which the courts respond to the society’s cry for justice against the criminals.
A critical examination of the need for continuance of capital punishment in India:
Ambiguity of rarest of the rare cases: In Jagmohan Singh vs State of Uttar Pradesh (1973) the Supreme Court affirmed the constitutional validity of the death penalty and should be awarded only in the “rarest of rare” cases. However, the judgments do not provide a clue as to what constitutes the 'rarest of the rare cases.
No evidence of its effectiveness: Scientific studies have consistently failed to find convincing evidence that the Capital punishment deters crime more effectively than other punishments.
Fallibility of Judgment in case of Capital Punishment: A judgment given by human beings based on evidence produced in courts, the possibility of human error cannot be ruled out. As human justice remains fallible, the risk of executing the innocent will never be eliminated.
Death Penalty discriminates between the privileged and the underprivileged: Justice Bhagwati in Bachan Singh’s (supra) case pointed out in his dissent that death penalty strikes most against the poor and deprived sections of society who cannot afford a competent lawyer.
Long delay in execution: Extensive delay in the execution of a sentence of death does not serve any kind of purpose and is sufficient to invoke Article 21 and demand its substitution by the sentence of life-imprisonment.
Reformative approach: Supreme Court has taken the view that “Reformative approach to 'punishment should be the object of criminal law”.
Moral Grounds: By allowing death penalty morally nothing is achieved except more death, suffering and pain. If the social values really mean that killing is wrong, then the society must abolish death penalty. Death penalty legitimizes an irreversible act of violence by the state.
Way Forward-
The Law Commission of India in its 262nd Report (August 2015) recommended that death penalty be abolished for all crimes other than terrorism related offences and waging war.
Measures like police reforms, witness protection scheme and victim compensation scheme should be taken up expeditiously by the government to prevent lapses and error in granting of capital punishment.
There is an increased rhetoric for capital punishment for rape, heinous crimes against women, trade and trafficking of women and narcotics. Such arguments for provisions of death penalty have strong rationale on moral and social grounds.
It must be retained for incorrigibles and hardened criminals but its use should be limited to the 'rarest of rare cases.
The courts may make use of death penalty sparingly, only in certain offences, with considerable grounds for justification of capital punishment.
अक्सर जो छात्र अभी ग्रेजुएशन में हैं या कही बाहर जाकर तैयारी नहीं कर पा रहे और वो आईएएस की तयारी शुरू करना चाहते हैं उनके मन में ढेरों सवाल होते हैं ? … आईएएस के लिए क्या क्या पढ़ना पड़ेगा ? .. कैसे पढ़ना पड़ेगा ..?..कौन कौन सी बुक्स पढ़नी पड़ेंगी .? न्यूज़ पेपर और मैगजीन जरुरी है क्या ..? अगर हाँ तो कौन सी ..?… उनके लिए इस पोस्ट को मैंने तैयार किया है ..आशा है की हमेशा की तरह आपकी कुछ मदद करेगी :-
मैं आपको 10 टिप्स दे रहा हूँ जो आपको आईएएस की तैयारी में मदद करेंगी !👌
_*👉1 . आईएएस की तैयारी की शुरुआत NCERT की बुक्स से कीजिये .. उनका कोई भी विकल्प नहीं है ..NCERT आपका Base क्लियर करने के काम में आती हैं .. ऐसे छात्र जिनकी पृष्ठभूमि कला क्षेत्र से न रही हो ..उनके लिए ये सबसे अधिक महत्वपूर्ण है …NCERT को ख़त्म करने का टारगेट बनाइये और दो माह में इसे ख़त्म कर दीजिये .. इस दौरान आपको नोट्स नहीं बनानी हैं .. सिर्फ महत्वपूर्ण तथ्य जो आपको आगे सहायता प्रदान करेंगे उन्हें हाईलाइट करते हुए चलना है ! कम से कम चार विषय जिसमे इतिहास , भूगोल , राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र आदि की 6 से 12 तक की तो ख़त्म ही कर लीजिये !!*_
_*👉2 . जब NCERT ख़त्म हो जाये फिर आपको हर विषय की मुख्य किताब लेनी होगी …हर विषय के विशेषज्ञों की अलग अलग किताबे हैं… अब एक एक विषय को लीजिये और उसकी NCERT भी लीजिये फिर उसे पढ़कर नोट्स बनाते जाइये जिसमे NCERT की भी मदद लीजिये !! जब एक विषय पूरा हो जाये फिर दूसरा ले लीजिये और उसी दौरान पहले का रिवीजन करते जाइये .फिर तीसरी , चौथी आदि .इसी तरह प्रक्रिया आगे बढाइये .. !!*_
_*👉3 . आईएएस की तैयारी के दौरान सबसे महत्वपूर्ण है समाचार पत्र … आखिर आपको राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों का पता होना चाहिए !! अब सवाल ये आता है की कौन सा समाचार पत्र ..? ..कई लोगों ने मुझसे कहा था कि सर हमारे यहाँ THE HINDU नहीं आता .. ऐसे भी बहुत लोग है जिन्हे अंग्रेजी में समस्या होती है … तो देखिये समाचार पत्र जरुरी नहीं कि THE HINDU ही हो ..अगर आपको नहीं मिल पा रहा या नहीं समझ आ रहा तो आप कोई भी एक राष्ट्रीय पेपर फॉलो कर सकते हो .. समाचार पत्र में मुख्य पृष्ठ पढ़ने के बाद , देश विदेश , अर्थव्यवस्था वाला पेज .. इसके बाद सीधे सम्पादकीय पृष्ठ पर जाइये , खेल और बाकि सरसरी निगाह से देख लीजिये !!*_
*👉4 . अब बारी आती है मासिक पत्रिका की ..कुछ लोग प्रतियोगिता दर्पण कहते हैं ..पर यहाँ पर मैं एक चीज कहना चाहूंगा कि अगर आप पीसीएस की तैयारी कर रहे हो तो प्रतियोगिता दर्पण ठीक है पर आईएएस की तैयारी के लिए सिविल सर्विस क्रॉनिकल , सिविल सर्विसेज टाइम्स या फ्रॉन्टलाइन इनमे से किसी एक पत्रिका को नियमित फॉलो कीजिये जब तक आप सफल नहीं हो जाते तब तक ..किसी भी माह की पत्रिका छूट न पाये !!*
*👉5 . सिविल सर्विसेज प्रारंभिक परीक्षा हो या मुख्य परीक्षा इसमें UNSOLVED पेपर्स बहुत अहमियत रखते हैं … मैं कहता हूँ कि आप सब तैयारी शुरू करने से पहले ही UNSOLVED पेपर्स देख ले …इससे आपको आईएएस परीक्षा के प्रश्नों के स्वरुप का पता चलता है ..क्योकि इस परीक्षा में प्रश्नो का स्वरुप अन्य सभी BANK , SSC आदि से भिन्न होता है !! इसलिए पेपर्स ले लेकर प्रश्नो के स्वरुप को ठीक तरह से समझ ले !!*
*👉6 . एक सबसे महत्वपूर्ण काम जो आपको पूरी तैयारी के दौरान करना है कि आप रोज किन्ही २ प्रश्नो को लेकर* _Answer राइटिंग कि प्रैक्टिस कीजिये ..वो प्रश्न किसी भी चीज से सम्बंधित हो सकते है ..विषय से या समसामयिक मुद्दे से … क्योकि आईएएस मुख्य परीक्षा में सफलता का एक मात्र आधार आपका उत्तर लेखन ही है !!_
_😊शेष 4 टिप्स अगले अंक में_
_*🙏🙏दोस्तों आईएएस में सफलता का एक ही फार्मूला है नियमित और विश्लेषणात्मक अध्ययन … यहाँ सिर्फ पढ़ना नहीं बल्कि आपको पता होना चाहिए कि किस तरह पढ़ना है …अगर आप सही दिशा में अध्ययन कर रहे हैं तो १० माह में भी सफल हो जायेंगे और अगर आप दिशाविहीन तैयारी कर रहे हैं तो १० वर्ष भी आप परिश्रम कर लें कुछ नहीं हासिल होने वाला…*_
वैसे तो किसी भीड कम्पेटिटिव exam की तैयारी करना और उसमें पास होना इतना आसान नहीं हैं, हर वक़्त, हर समय, हर मोड़ पर अलग अलग कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। तैयारी कैसे करे इस बारे में तो आपने कई लोगों के अलग अलग विचार सुने होगे। लेकिन आपके दोस्त के नाते मैं यह चाहता हु की कुछ ऐसी बातें भी आपसे share करूँ जो आपकी इस संघर्ष यात्रा में आपकी शायद मदद कर पाए।
● ✍️आपको क्या, कब और कैसे करना हैं यह जल्द से जल्द डिसाइड कीजिए_
● ✍️पढ़ाई के वक़्त सिर्फ़ पढ़ाई कीजिए , दूसरी चीज़ों पर ध्यान न दे तो अच्छा हैं
● ✍️ किसी से उलझिए मत, इसका सिर्फ़ आपको ही नुक़सान होगा , अच्छे कॉन्सेंट्रेशन के लिए आपका मन शांत होना ज़रूरी होता हैं
● ✍️ negativity से दूर रहे, अपने फ़्यूचर के अच्छे एवं positive ख़्वाब देखिए
● ✍️अपने माता पिता की मेहनत की कमाई को सावधानी से ख़र्च कीजिए।
● ✍️ अपने दोस्त और रूम्मेट्स से अच्छा व्यवहार कीजिए , आपके इस तैयारी में उनकी भूमिका भी अहम हैं
● ✍️याद रखिए , कोई भी इग्ज़ैम क्लीर करने के लिए कोई फ़ॉर्म्युला या fixed स्ट्रैटेजी नहीं होती, जो mujhe सही लगता हैं वो शायद आपको ग़लत लगे या फिर इसके उलटा, इन शॉर्ट अपनी ख़ुद की स्ट्रैटेजी बनाइए और उसे फ़ॉलो कीजिए
● ✍️ये आपकी लड़ाई हैं और आपको ही जितनी हैं, jitna औरों पर rely करेंगे उतना ज़्यादा मुसीबत बढ़ेगी
● ✍️ तैयारी के वक़्त आपको नेगेटिव इन्फ़र्मेशन देने वाली दुखी आत्माओं से दूर रहे ।_
● ✍️ याद रखे , ये सिर्फ़ एक इग्ज़ैम हैं , सिर्फ़ एक इग्ज़ैम ! ये आपकी ज़िन्दगी नहीं हो सकती , जिस तरह आपने ज़िन्दगी के कई इम्तिहान पास किये हैं वैसे ही ये भी हो जाएगा । और हाँ , मुस्कुराना ना भूलें
👉अंत में कुछ पंक्तियां प्रस्तुत करना चाहता हूं
✍️ कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो जरा तबीयत से उछालो यारो
✍️ किसी की 4 दिन की जिंदगी 100 काम करती है किसी की 100 बरस की जिंदगी में कुछ नहीं होता
✍️🍁 इस पथ का उद्देश्य नही है , ☮️ शान्त भवन में टिका रहना ,किंतु पहुंचना उस सीमा तक जिसके आगे राह नहीं .... टीम आप आईएएस
हाल ही में 16 सदस्य देशों वाले क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) समूह के व्यापार मंत्रियों ने वचनबद्धता जताई कि वे नवंबर में आयोजित होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन से पहले प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement- FTA) पर असहमति के अपने सभी मुद्दों को सुलझा लेंगे।*
भारत सरकार अभी तक इस व्यापार मंच में शामिल होने के प्रति सतर्कता बरत रही है। लेकिन, चूँकि RCEP के सदस्यों की ओर से दबाव बढ़ता जा रहा है, भारत सरकार को व्यापार समझौते पर अपनी रणनीति के संबंध में सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।
क्या है क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी?
RCEP 10 आसियान देशों और उनके FTA भागीदारों- भारत, चीन, जापान, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच प्रस्तावित एक मुक्त व्यापार समझौता है।
इसका उद्देश्य व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिये इसके सदस्य देशों के बीच व्यापार नियमों को उदार एवं सरल बनाना है।
इसकी औपचारिक शुरुआत नवंबर 2012 में कंबोडिया में आसियान शिखर सम्मेलन में की गई थी।
RCEP को ट्रांस-पैसिफिक भागीदारी के एक विकल्प के रूप में भी देखा जाता है।
इस समझौते के संपन्न होने पर यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 25 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार के 30 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करेगा।
RCEP का महत्त्व:
RCEP की अवधारणा जब क्रियाशील होगी तो लगभग 5 अरब लोगों की आबादी के लिहाज़ से यह सबसे बड़ा व्यापार ब्लॉक बन जाएगा।
इसमें विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का अनुमानतः 40% और वैश्विक व्यापार का 30% प्रभुत्व होगा।
महत्त्वाकांक्षी RCEP का एक अनूठा महत्त्व यह है कि इसमें एशिया की (चीन, भारत और जापान) तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ शामिल हैं।
RCEP समझौते में वस्तुओं का व्यापार, सेवाओं का व्यापार, निवेश, आर्थिक और तकनीकी सहयोग, बौद्धिक संपदा, प्रतिस्पर्द्धा, विवाद निपटान और अन्य मुद्दे शामिल होंगे।
भारत क्यों नहीं है तैयार?
इस व्यापार संधि में शामिल होने की भारत की अनिच्छा इस अनुभव से प्रेरित है कि देश को कोरिया, मलेशिया और जापान जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों का कोई लाभ प्राप्त नहीं हुआ है।
समझौतों का कार्यान्वयन शुरू होने के बाद इन देशों से भारत के आयात में तो वृद्धि हुई लेकिन भारत से निर्यात में उस गति से वृद्धि नहीं हुई, जिससे देश के व्यापार घाटे का विस्तार हुआ।
भारत पहले से ही 16 RCEP देशों के साथ व्यापार घाटे की स्थिति में है। अपने बाज़ार को और अधिक मुक्त बनाने से स्थिति और बिगड़ सकती है।
इंडिया इंक (India Inc) के एक बड़े तबके को आशंका है कि RCEP का अंग बनने से उपभोक्ता वस्तुओं और औद्योगिक क्षेत्रों, दोनों में अधिक प्रतिस्पर्द्धी मूल्य वाले चीनी उत्पादों की आमद बढ़ेगी।
प्रशुल्क उन्मूलन और कटौती को लेकर RCEP के ज़्यादातर सदस्य 92 प्रतिशत वस्तुओं पर शून्य प्रशुल्क लगाने की बात कर रहे हैं, जबकि भारत इसके लिये तैयार नहीं है।
भारतीय उद्योग और कृषि क्षेत्र ज़्यादातर उत्पादों पर प्रशुल्क में इतनी भारी कमी के लिये तैयार नहीं हैं, क्योंकि कई क्षेत्रों में वे अब भी विकासशील स्थिति में हैं और प्रशुल्क मुक्त प्रतियोगिता उनके हित में नहीं है।
यह समझौता भारत के डिजिटल उद्योग के संरक्षण को भी प्रभावित करेगा। इन देशों से भारत में सस्ते सामानों के आयात से घरेलू उद्योगों पर असर पड़ेगा।
इस प्रकार व्यापारिक वस्तुओं के एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के लिये टैरिफ की समाप्ति को घरेलू उद्योग से प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा। एक मंद होती अर्थव्यवस्था ऐसी आशंकाओं को और बल प्रदान करेगी।
क्या भारत को इसमें शामिल होना चाहिये?
मुक्त व्यापार समझौते के निराशाजनक प्रदर्शन के लिये उच्च अनुपालन लागत, प्रशासनिक विलंब आदि को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। लेकिन आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि चूँकि भारत का निर्यात पिछले पाँच वर्षों से गतिहीन बना है, इस तरह की व्यापार संधियों से कन्नी काटना विवेकपूर्ण दृष्टिकोण नहीं है। यह समझने की आवश्यकता है कि इन व्यापार समूहों में शामिल होने से जो दीर्घकालिक लाभ होंगे, वे अल्पकालिक लागतों से बहुत अधिक होंगे। यह सुनिश्चित करने के लिये:
भारत को संवेदनशील क्षेत्रों के लिये रियायतों और सुरक्षा उपायों पर वार्ता करनी चाहिये।
इसके अतिरिक्त प्रस्तावित टैरिफ कटौतियों को पाँच से दस वर्ष की अवधि के लिये चरणबद्ध किया जा सकता है जो उद्योग को अनुकूल बनने का समय प्रदान करेगा।
औद्योगिक क्षेत्र के दबाव में व्यापार संधि की राह पर आगे नहीं बढ़ना भारत के लिये अत्यंत नुकसानदेह हो सकता है।
वैश्विक व्यापार की जो प्रकृति है, उसमें इन मुक्त व्यापार समझौतों में शामिल होना न केवल वैश्विक मूल्य शृंखलाओं (Global Value Chains) के साथ देश के एकीकरण को धीरे-धीरे सुगम बनाएगा, बल्कि निवेश के लिये अधिकाधिक अवसर भी उपलब्ध होंगे।
निष्कर्ष:
इस व्यापार व्यवस्था में भविष्य की बड़ी संभावनाएँ विद्यमान हैं क्योंकि इसमें चीन और भारत जैसी तेज़ी से बढ़ रही दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हैं। RCEP समझौते का उद्देश्य आसियान सदस्य देशों और आसियान के एफटीए पार्टनर्स के बीच एक आधुनिक, व्यापक, उच्च गुणवत्तापूर्ण और परस्पर लाभकारी आर्थिक साझेदारी समझौता करना है। भारत को वैश्विक मूल्य शृंखलाओं से जुड़ने के इस अवसर का लाभ उठाना चाहिये, जबकि इसके साथ ही विनिर्माण प्रतिस्पर्द्धा को प्रभावित करने वाले गंभीर मुद्दों को भी संबोधित करना चाहिये इस वीडियो को देखे और पाए ज्यादा जानकारी।
Rank: 01
Optional subject: Mathematics
Medium: English
Native place: Jaipur, Rajasthan
Education Qualification:
• B.Tech with Honours in Computer Science and Engineering, IIT Bombay - 2014
Parents Occupation:
• Father : IAS Officer, Rajasthan
• Mother : Homemaker
Coaching taken:
• GS – Vajiram and Ravi, Delhi
• Mathematics – IMS, Delhi
Marks:
Prelims:
• Paper -1 : 106
• Paper -2 : 147.5
Mains and Personality Test:
My Journey:
• Most of my schooling was done in Kota, Rajasthan, a city well known for its IIT and
NEET (then PMT) coachings. Being good in Mathematics and having an aptitude for
Science, I naturally got attracted to engineering (and IITs) for graduation.
• I appeared for the IITJEE examination in 2010 and secured AIR 44. I opted for IIT
Bombay for its all-round career options and Computer Science as my branch due to my
interest in the subject plus the opportunities which were present in the sector.
• My father had recommended UPSC as a career option to me right since my childhood.
After my graduation in 2014, he again asked me to appear in the UPSC examination.
However, I always wanted to explore multiple options before making such a pivotal
decision in my life. I had secured a job offer from Samsung Electronics, South Korea. Itwas an amazing opportunity for me to get exposure outside India and also explore the
private sector - an offer which I accepted.
• I moved back to India in 2016 and started working in a private firm in Bengaluru.
Although UPSC was an option always lingering in the back of my mind, I never gave a
serious thought into it during this period (September 2014 - April 2016).
• It was only after I had spent 7-8 months in Bengaluru, that I started contemplating
more seriously about my career. Comparing my life outside India and then in India, I
felt there is much work that needs to be done in India and as an individual, I can also
contribute towards it.
• Having seen my father work, I was aware that if I join administration I could create a
more meaningful impact. Civil Services provides one an opportunity to work in a
diverse set of fields and be more satisfied with the work that one does.
• I discussed with a few officers with similar background about their experiences in
administration and would it be a better career choice for me. I also got an opportunity
to work in the US for a couple of months and later got a Masters admit from a US
university (in April 2017). But my experiences abroad made it clear to me that I want
to stay and work in India. Instead of preparing with a half-hearted attitude, I
preferred to first make it clear in my mind as to why I wanted to prepare for UPSC and
after nearly 5-6 months of deliberation, I finally decided to prepare for UPSC.
• I had heard about the uncertainty and difficulty of UPSC. Moreover being away from
studies, especially humanities subjects, I was aware of the challenge I was throwing
myself into. However, I had clarity as to why I want to appear in UPSC and this
challenge didn’t feel that big. In fact, I was excited to learn more about subjects like
History and Polity. Also, I decided to give only 2 attempts. If it was meant to be, I
would clear the exam in 2 attempts and if not, I would move on from it.
• In May 2017, I quit my job to fully focus on UPSC. I moved to Jaipur and started
researching what and how I needed to prepare. I read a few topper blogs to see what
needs to be done and then fixed the target for appearing in Prelims 2018.
• One of the 1st tasks I did was to finalise my optional as many toppers had focused a lot
on its importance. I went with my strength, chose Mathematics as my optional and
decided to make it my main-pillar(or X-Factor) in my preparation. After researching a
little, I set a target of scoring above 350 in Mathematics. I knew if I score 350+ in
optional, I would easily get into the IAS.
• In the meantime, I got in touch with a couple of my batch-mates from IITB, who were
also starting their preparation for UPSC. At the start, I was apprehensive about moving
to New Delhi for preparation (as I liked to study alone in the comfort of my home).
But in the company of my friends, I decided to move to New Delhi and join coaching
for streamlining my preparation. Given I had only 2 attempts in mind, I tried to find
ways to maximise my returns in the 1st attempt itself.
• In June 2017 I shifted to New Delhi and joined Vajiram and Ravi for yearlong GS
coaching for Prelims-cum-Mains and IMS for Mathematics coaching.
• In the initial 4 months, my full focus was on finishing the optional syllabus and have a
basic minimum coverage of GS along with daily current affairs from newspapers. By
October 2017, I finished 90% of my optional and then shifted fully on GS preparation.
• My GS preparation was always Mains oriented. I read the syllabus, saw Past Year UPSC
Questions and prepared for each subject accordingly using a minimal resource list
comprising of NCERTs, a single standard book, and coaching notes. For 2.5 months, my
full focus was on GS and current affairs.
• In January and February 2018, I decided to revise my optional one last time before
focusing fully on Prelims preparation, which I started in March 2018.
• In April 2018, I shifted back to Jaipur after the classes got over and started self-
studies. During March-May 2018, I prepared solely for Prelims (to be held on 3 June
2018).
• After the prelims, I took a week's rest and then started my main preparation. For 1
month until the result of prelims was out, I focused on revising my optional and
refining my answer writing skills. I knew whether I clear the prelims or not, this phase
was very important for overall preparation and focused on maximising my efforts.
• After the prelims result were out, I started revising my GS subjects and appeared in a
test series (8 full-length tests). I focused more on revision instead of picking up new
sources to read.
• The Mains finished on 7 October 2018 and I decided to take a month’s rest. I stayed in
touch with the current affairs through daily newspaper reading. Post my GS papers I
wasn’t much confident about my performance and result. But I knew optional was my
X-factor and I was a little upbeat after a good optional paper in Mains. So my overall
feeling was quite positive about the Mains result.
• After the results for Mains were out (on 20 December 2018), I started my Personality
Test preparation. I appeared in a few mocks and prepared my DAF thoroughly.
• The Personality Test was scheduled for 6th March 2019. After the PT, even though I
tried to focus on Prelims 2019, I couldn’t do so because of anxiety and curiosity about
the result. There were mixed feelings - I had a hunch that if everything works as per
my plan I would clear the examination but at the same time I wasn’t sure about my GS
marks. Having appeared in Mains for the 1st time, there wasn’t any surety of the
marks given the paper is subjective.
• It was 5th April 2019 when the final results came out and I was shocked and a little
relieved to have cleared the examination in my 1st attempt and get into IAS. AIR 1 was
just a cherry on top of the cake for me. To be honest, I still haven’t processed or
realised the magnitude of that achievement yet. I am just happy to see the positive
returns for my 1.5 years of hard work and having realised my dream in the very first
attempt.
• The final result showed me that if the desire is real, motivation strong accompanied
by consistent hard-work, then everything falls into place. The examination might be
considered one of the toughest to crack, especially in the 1st attempt but impossible
is nothing. And it’s just not me, there are multiple first attempters to have cleared
this examination.
• Hopefully, in years to come more and more people would be able to realise their
dream of clearing this examination with the minimal number of attempts.
• The last few months have been quite relaxing - I fulfilled the promise I made to myself
at the start of my preparation and went on a month’s travel. After that, I have been
just relaxing at home and awaiting the start of training at LBSNAA. To be honest I
haven’t seen many pics of the academy or training process which many previous
toppers have shared. I wanted to keep my LBSNAA experience completely new and
that’s what excites me a lot about it!
• In the future lies the start of something new and challenging. I hope to undergo a
wonderful training process and then get on with the work. Hopefully, I will pass the
test and meet the expectations of everyone - me, my parents, my family and the
people of this country - as an administrator.
Message for newcomers:
• You have made a lot of sacrifices to prepare for this examination. If not someone else,
just be true to yourself and remember why you want to come into civil service. More
than subject knowledge, UPSC tests the psychology and emotions of aspirants a lot. If
you are clear in your head, nothing can stop you from cracking UPSC.
• Do not fall into the trap of fear-instillers and rumour-mongers. Believe in yourself and
your hard-work. People will say a lot of negative things like it can’t be done in the 1st
attempt but they all just want to bring you down. This exam is perfectly doable in one
attempt. You just need to be a little strategic and smart with your studies. It does
require a little bit of luck on the way but it only comes to your way if you have worked
hard.
• Be consistent and do not reduce the intensity. Go hard in the initial 4 and last 4
months and save energy in the middle. Treat it like a marathon. If you prepare well in
the first 4 months and finish your optional early, you are all sorted for the mains
preparation.
• Do not worry about going to New Delhi or joining any coaching. In present-day and
age, there are ample resources available online. If you can study well in the comfort
of your home, believe me, there is no other place where you can prepare better!
• Be ruthless with your resources and habits. If something is not working just discard it.
It something is working do it again and again. Be less emotional and more mechanical.
• Do not compete with anyone else, your competition is with yourself. If you can
improve daily and be a better version of yourself every day it means you are heading
in the right direction.
• Stay optimistic throughout and journey and believe in yourself. My pillars of success
are “optimism, hard work, and self-confidence”. In any moment of despair, they
pulled me out of it and kept me going. Make them your armour and you can shield
yourself from all negative thoughts and challenges.
• Keep limited resources. In 1st attempt, it is nearly impossible to read each and every
resource. Keep a clear focused strategy that suits yourself. Do not mimic someoneelse. If you see a topper has read 5 books, you also need to keep in mind the number
of attempts he/she took for reading those many books. Guidance is needed but be
critical and filter out those opinions which do not apply to yourself.
• At last, I would just tell you that UPSC is not everything in life. Open yourself to the
outside world and see what opportunities lie in front of you. Do not focus on the
result, instead, just enjoy the process. Even if you do not clear this exam, you are
going to learn a lot and become a better person. Just live in the present, focus less on
the results and do not think far ahead in the future. If you do so, you will get the
result you deserve.
• Best of luck! :)
Contact options:
Telegram Channel: t.me/Kanishak2018NotesAndStrategy
Instagram: https://www.instagram.com/kanishak_kataria
Twitter: https://twitter.com/KanishakKataria
Blog: demystifycse.in
हिन्दी माध्यम के यू.पी.एस.सी. अभ्यर्थी अकसर यह जानना चाहते हैं कि हम सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान क्या पढ़ें और क्या न पढ़ें? मैंने अपनी समझ, अध्ययन और अनुभव के आधार पर पुस्तकों एवं अन्य स्रोतों की यह सूची तैयार की है।
यह सूची न तो अंतिम है और न ही बेस्ट। इनमें से आप अपनी सुविधा व तैयारी के स्तर के मुताबिक जोड़-घटाव कर सकते हैं। यह भी ध्यान रहे कि यह सूची संकेतात्मक है और इनमें से प्रत्येक स्रोत को पढ़ना या देखना अनिवार्य नहीं है।
#पुस्तकें—
#इतिहास—कक्षा 6 से 12 तक की NCERT, स्पेक्ट्रम की किताब ‘आधुनिक भारत का संक्षिप्त इतिहास’ और बिपिन चंद्रा की किताब ‘आजादी के बाद का भारत’।
#भूगोल—कक्षा 6 से 12 तक की NCERT। इसके बाद माजिद हुसैन या जी.सी. लियोंग की पुस्तक।
साथ में ऑक्सफोर्ड या ब्लैकस्वान का स्कूल एटलस।
#राजव्यवस्था—भारतीय राज-व्यवस्था (एम. लक्ष्मीकांत) विस्तारपूर्वक पढ़ें और भारतीय शासन (एम. लक्ष्मीकांत) को सरसरी तौर पर देख लें।
#अर्थव्यवस्था—भारतीय अर्थव्यवस्था (रमेश सिंह की पुस्तक), कक्षा 9 से 12 तक की NCERT, सरकार द्वारा प्रकाशित ‘आर्थिक सर्वेक्षण’ और ‘बजट’। Mrunal के वीडियो लेक्चर।
#पर्यावरण—NCERT की किताब, परीक्षा वाणी (इलाहाबाद) द्वारा प्रकाशित पारिस्थितिकी की पुस्तक या शंकर IAS के नोट्स।
#विज्ञान व प्रौद्योगिकी—छठी से 10वीं कक्षा तक की NCERT की किताबें और करेंट अफेयर्स।
#भारतीय_संस्कृति— नितिन सिंघानिया की किताब- ‘भारतीय कला एवं संस्कृति’ और फाइन आर्ट्स की NCERT की पुस्तक से भारतीय कला का इतिहास।
#आंतरिक_सुरक्षा—‘भारत की आंतरिक सुरक्षा’ -अशोक कुमार एवं विपुल (मैक्ग्रा हिल से प्रकाशित)।
#अंतरराष्ट्रीय_संबंध—समाचार पत्र, मासिक पत्रिका और विदेश मंत्रालय की वेबसाइट mea.gov.in
#भारतीय_समाज—श्यामाचरण दुबे (नेशनल बुक ट्रस्ट) की पुस्तक और 11वीं-12वीं कक्षा की समाजशास्त्र की NCERT की पुस्तकें।
#एथिक्स—
बालाजी डीके IAS और निशान्त जैन IAS की शीघ्र प्रकाशित होने वाली किताब- ‘नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि’ (JICE पब्लिकेशंस, बेंगलुरु)।
मनोविज्ञान की NCERT की पुस्तक (सरसरी तौर पर), कुछ अच्छे लेखकों की किताबें। जनरल रीडिंग हैबिट। भारतीय दर्शन में वेदांत, बौद्ध, जैन दर्शन और गांधी, नेहरू, टैगोर, अंबेडकर एवं विवेकानंद का दर्शन अच्छे से समझ लें।
#निबंध—‘सिविल सेवा परीक्षा के लिए निबंध’ पुस्तक (निशान्त जैन और गंगा सिंह राजपुरोहित), अक्षर (राजकमल प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित)।
साथ ही फुरसत मिलने पर नेशनल बुक ट्रस्ट और प्रकाशन विभाग, सूचना व प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित विभिन्न ज्ञानवर्धक पुस्तकें।
#करेंट_अफेयर्स
#अखबार—‘द हिंदू’ और ‘दैनिक जागरण’ (राष्ट्रीय संस्करण)। ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ (हिंदी) का ‘आर्थिक मुद्दे’ और संपादकीय पृष्ठ।
#पत्रिकाएँ—‘योजना’, ‘कुरुक्षेत्र’, ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ या ‘Vision IAS की मासिक बुकलेट। वक्त मिले तो ‘फ्रंटलाइन’ भी पढ़ सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा प्रकाशित ‘इंडिया ईयर बुक’ (भारत)। साथ ही भारत सरकार की नवीनतम आर्थिक व सामाजिक कल्याणकारी योजनाएँ अच्छी तरह तैयार कर लें।
सोच और भाषा-शैली के विकास के लिए—‘अहा जिंदगी’ और ‘कादंबिनी’ पत्रिकाएँ। उन्हें फ़ुर्सत के वक़्त रुचि के अनुसार पढ़ें। इन्हें पढ़ना आवश्यक नहीं है।
#वेबसाइटें—
india.gov.in, newsonair.com, pib.nic.in, mrunal.org, insightsonindia.com, iasbaba.com, unacademy.in, और भारत सरकार के विविध मंत्रालयों की वेबसाइटें।
#रेडियो_टीवी-
आकाशवाणी, डी.डी. न्यूज, राज्यसभा टी.वी.।
फुरसत में टी.वी. सीरियलों—‘सत्यमेव जयते’, ‘प्रधानमंत्री’, ‘संविधान’ और ‘भारत: एक खोज’ के एपिसोड देख सकते हैं।